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सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

हो न्याय अगर तो आधा दो ,और उसमे भी यदि बाधा हो


सर्वप्रथम  तो न्यायलय के इस निर्णय में लोगों को विसंगतियां नजर आ रही हैं |क्या कवल इस लिए की यह निर्णय हिन्दुओं के पक्ष में आया है ? मैं अधिवक्ता तो नहीं हूँ अतः मुझे न्यायिक सूक्ष्मताओं का ज्ञान नहीं है परन्तु साड़ों से चली आ रही आस्थाएं क्या स्वयं ही इस बात साक्ष्य नहीं हैं ? क्या उस अस्जिद का नाम १९४० तक "मस्जिदे - जन्मस्थान " होना प्रमाण नहीं है ?क्या निकट भूत में बामियान का कार्य इस्लामिक आक्रान्ताओं के मूल चरित्र को नहीं दर्शाता है? इसके अतिरिक्त जब अयोध्या का मुस्लोमों के लिए कोई विशिस्ट धार्मिक महत्त्व नहीं है तो क्या अयोध्या हिन्दुओं को देना विसंगति है ?

दूसरी बात ,अगर सामाजिक सद्भाव बना हुआ है तो मैंने ऐसा लेख क्यूँ लिखा है ? कहाँ है सामाजिक सदभाव ?इस निर्णय के आने से पहले जो लोग सामाजिक सदभाव बनाये रखने की अपील कर रहे थे वो ही अब इस निर्णय में लोकतंत्र की पराजय देखने लगे हैं |और शान्ति ..............कहीं ते तूफान के पहले वाली तो नहीं है ?सरे कट्टर पंथी मुस्लिम ब्ल्लोगारों ने इस निर्णय की आलोचना करना प्रारंभ कर दिया है | और सरे प्रगतीशील  और धर्मनिरपेक्ष लोग भी धीरे धीरे इसके विरोध  में उतरने लगे हैं |पाकिस्तान तक में इस पर मुस्लिम एकत्रित होने लगे हैं | वैसे जो लोग सोचते हैं  की हिन्दू मुस्लिम सदभाव जैसी कोई चीज वास्तविक दुनिया में होती है तो हमे कुछ उदहारण दें जब मुस्लिमो के अन्य धर्मावलम्बियों  से अधिक शक्तिशाली होने के पश्चात भी शांति रही हो ? पूरे  एशिया और यूरोप में ५०० वर्ष तक बहने वाली खून की नदियाँ ही क्या वो सदभाव  हैं जिसके सम्मान की अपेक्षा हमसे की जा रही है ?

तीसरी बात , अयोध्या में मंदिर और मस्जिद  दोनों बनाने की बात कह रहे हैं | कह रहे हैं की कुछ स्थान मुस्लिमों को बाबरी मस्जिद के लिए भी दे दिया जाये | ठीक है हम दे देंगे और देश के हर हिन्दू को हम मनाएंगे और उस मस्जिद के निर्माण के लिए चंदा एकत्रित करके हाँ भी हम देंगे | भव्य मस्जिद बनेगी | बस आप लोग हमे काबा के बगल में ५० ५० का स्थान दिला दीजिये मंदिर बनाने के लिए | उस नगर में तो अमुस्लिमों का प्रवेश भी वर्जित है तो हम अयोध्या में उनको   त्रण  की नोक के बरबा बोमी भी क्यूँ दें |

कुछ लोग कहेंगे की ऐसा करके हम उन मुस्लिमों  का दिल जीत सकते हैं| तो आप उनका दिल अपने घर का एक तिहाई , राजघाट का एक तिहाई और तीन मोरती भवन का एक तिहाई देकर क्यूँ नहीं जीत लेते हैं ? इतिहास हमे सिखाता है की हम इतिहास  से कुछ नहीं सीखते हैं और इसी लिए अपने आप को इतिहास दोहराता है | इतिहास साक्षी है इस बात का की मुस्लिमों  का दिल जीतना संभव नहीं है क्यूँकी दिल तो उनका जीता जायेगा जिनके पास दिल होगा |तो क्या हमे पुनः वाही भूलें करनी चाहियें या इतिहास से कुछ सीखते हुए इस बार कुछ अलग करना चाहिए |

हमे लेशमात्र भी आश्चर्य नहीं होगा अगर एक तिहाई हिस्से को रख ने के बाद मुस्लिमों में "हस के लिया है एक तिहाई लड़ कर लेंगे दो तिहाई "की गोंज सुने देने लगे क्यूँ की यही मुस्लिमों का चरित्र है |और न्याय की भी यही मांग है की अब जबकि भारत की किसी विदेशी  आक्रान्ता का शासन  नहीं है तो  हिंडून की समस्त संपत्तियां हिन्दुओं की वापस की जाएँ को आक्र्न्ताओं ने छीन  ली थी |

 आप सभी से अनुरोध है की इस पर अपने विचार दें पर दीपा शर्मा जी पर व्यक्तिगत टिप्पड़ी किये बिना |

और अंत में हिन्दू कुश पर्वत से हिन्दुमाहोदाधि तक का पूराक्षेत्र  हिशों का था जिस पर मुस्लिम आक्रान्ताओं के कब्ज़ा किया था तो अब कम से कम हमारे पूजास्थल तो हमे वापस कर ही दिए जाने चाहिए |

हो न्याय अगर तो आधा दो ,और उसमे भी यदि बाधा हो
तो दे दो केवल पांच ग्राम ,रखों अपनी धरती तमाम

हम वही ख़ुशी से खाएँगे,परिजन पर असि न उठाएंगे"

दुर्योधन वह भी दे न सका ,आशीष समाज की ले न सका
उल्टे हरी को बांधने चला ,जो था असाध्य साधने चला

जब नाश मनुज पर आता हैं ,पहले विवेक मर जाता हैं

"ज़ंजीर बढा अब साध मुझे ,हाँ हाँ दुर्योधन बाँध मुझे
ये देख गगन मुझमे लय हैं ,ये देख पवन मुझमे लय हैं
मुझमे विलीन झंकार सकल ,मुझमे लय हैं संसार सकल
अमरत्व फूलता हैं मुझमे ,संसार झूलता हैं मुझमे
उदयाचल मेरे दीप्त भाल ,भूमंडल वक्षस्थल विशाल
भुज परिधि बांध को घेरे हैं,मैनाक मेरु पग मेरे हैं
दीप्ते जो ग्रह नक्षत्र निकर ,सब हैं मेरे मुख के अन्दर
दृक हो तो दृश्य अखंड देख,मुझमे सारा ब्रह्माण्ड देख
चराचर जीव जग क्षर-अक्षर ,नश्वर मनुष्य सृजाती अमर
शत कोटि सूर्य शत कोटि चन्द्र ,शत कोटि सरित्सर सिन्धु मंद्र
शत कोटि ब्रह्मा विष्णु महेश ,शत कोटि जलपति जिष्णु धनेश
शत कोटि रुद्र शत कोटि काल ,शत कोटि दंड धर लोकपाल
ज़ंजीर बढा कर साध इन्हें ,हाँ हाँ दुर्योधन बाँध इन्हें
भूतल अतल पाताल देख ,गत और अनागत काल देख
यह देख जगत का आदि सृजन ,यह देख महाभारत का रण
मृतकों से पटी हुई भू हैं ,पहचान कहाँ इसमें तू हैं !!!


और अगर या नहीं दिया तो हमे कहना होगा


तो ले अब मैं भी जाता हूँ ,अंतिम संकल्प सुनाता हूँ  
 याचना नहीं अब रण होगा ,जीवन जय या की मरण होगा 

27 टिप्‍पणियां:

  1. मित्र इस देश में "हिन्दुओं" की जो दुर्गति हो रही उसका सबसे बड़ा कारण हिन्दुओं की "सहनशीलता और सहिष्णुता" है. बिकाऊ मीडिया जब चाहे हिन्दू धर्म गुरुओं का "स्टिंग ओपरेशन" कर सकता है लेकिन आज तक किसी मीडिया वाले भड़वे की ये हिम्मत नहीं हुई की वो किसी "कठमुल्ले" या "मदरसे" का स्टिंग ऑपरेशन" करे.
    सनातन हिन्दू धर्म को बचने के लिए हमें आगे आना ही होगा..--
    नए ब्लॉग के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं--
    राजेंद्र-
    हिंदुत्व और राष्ट्रवाद-

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  2. Ankit yaar.....tum dekhne men to masoom lagte ho lekin bahut badhiya likhte ho.

    isi trah likhte raho....

    congrats.

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  3. धन्यवाद ,
    आप से निवेदन हा की मेरे दूसरा लेख भी पढ़ें जो इसी चिट्ठे पर है

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  4. आपका क्या सवाल है, यहाँ लिखे !

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  5. @ अल्लाह के सेवक
    कुछ चिट्ठे होते हैं इस्लाम के बारे में बात करने के लिए , कुछ होते हैं हिंदुत्व से चर्चा के लिए तथा यह है छद्म धर्म्नित्पेक्ष लोगों से वैचारिक संघर्ष के लिए .....फिर भी आप की पहन को सम्मान देते हुए मैं अपना प्रश्न यहाँ पूछ लेता हूँ |

    यदि कोई मुस्लिम अपने कुछ निजी निहीत स्वार्थों के वशीभूत होकर छल रचकर हिन्दुओं तथा मुस्लिमो के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने का प्रयास करे | आपसी सद्भाव को समाप्त करने का प्रयास करे तथा विस्वास को समाप्त करके परस्पर आतंक की भावना को पैदा करने का प्रयास करे तो उसका यह कार्य इस्लामिक है या गैर इस्लामिक ?

    यदि यह इस्लामिक है तो इसका पुरस्कार क्या है ?यदि गैरइस्लामिक है तो इसका दंड क्या है ?

    कृपया नियम कुरान , शरीयत तथा हदीस (जिसकी भी आवश्यकता हो)के आधार पर नियम बताएं किसी घटना के आधार पर नहीं |

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  6. छल करना गैर इस्लामिक है !

    निजी सवार्थ व्यक्ति के व्यक्तिगत भी होते है, पारिवारिक भी होते है, सामाजिक भी होते है, आर्थिक भी होते है,

    दंड उसके उस अपराध के अनुसार इस्लामिक कोर्ट (अगर इस्लामिक शासन है तो काजी, जज) तय करती है !

    (यहाँ जानकारी के लिए बता दूँ कि कोई भी व्यक्ति सवतंत्र रूप से कुरआन और हदीस का सहारा लेकर किसी को सजा नहीं दे सकता, चाहे क़त्ल का मामला हो, चोरी का मामला हो या कोई और अपराध ! सजा शासन के अंतर्गत कोर्ट कचहरी के जरिये ही दिया जा सकता है !)

    जैसे कि भारत के कानून के अनुसार कोर्ट व्यक्ति का चरित्र और उसके अपराध कि छानबीन के बाद सजा तय करती है जो अलग अलग हो सकती है !

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  7. इस जानकारी के लिए धन्यवाद परन्तु कुछ संशय शेष है
    यदि
    उस व्यक्ति ने अगर धन के लोभ में यह किया है
    इस छल की सफलता का अर्थ कई निदोष व्यक्तियों की मृत्यु है

    इसके अतिरिके मैं किसी अदालत (साधारण या इस्लामिक )के द्वारा दिए गए दंड नहीं अपितु इन सभी तरह के दंड से बच जाने के बाद भी अंतिम न्याय (क़यामत) के दिन अल्लाह के द्वारा दिए जाने वाले दंड के बारे में जानना चाह रहा था |

    तथा यह भी बताइये की क्या इस बात से भी फर्क पड़ता है की वह सफल हुआ है की नहीं अपने इस प्रयास में ?

    आपके उत्तर के प्रतीक्षा में

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  8. क्या आप का प्रश्न ये है कि अगर किसी ने धन के लालच में किसी निर्दोष कि हत्या की या ह्त्या का प्रय्यास किया और निर्दोष व्यक्ति मर गया तो क़यामत में क्या सजा होगी ? और बच गया तो क्या सजा होगी ?

    कुरआन और हदीसो में बहुत सारी सजाये बतायी गयी है जिसमे अलग अलग पाप कि सजा अलग अलग है ! लेकिन कोई इंसान ये नहीं कह सकता कि उसे सजा मिलेगी या उसे माफ़ी मिल जायेगी !

    क़यामत में या दुनिया में अल्लाह ने हर व्यक्ति के कर्म का बदला(प्रतिफल) का दारोमदार उसकी नियत, इरादे (intention) पर रखा है ! जिसकी जैसी नियत या इरादा होगा उसे वैसा फल मिलेगा ! चाहे कर्म अच्छा किया या बुरा !

    जैसे यदि कोई व्यक्ति दान कर रहा है और उसने ये इरादा करके दान किया कि लोग उसे दानवीर कहें तो उसे अल्लाह कयामत में तो जहन्नुम में डाल देगा, दुनिया में चाहे उसे लोगो से दानवीर कि उपाधि दिलवा दे !

    किसी ने इल्म इसलिए हासिल किया कि लोग उसे बड़ा आलिम कहे तो अल्लाह उसे जहन्नुम में डाल देगा, दुनिया में चाहे तो लोगो से उसे बड़े आलिम कि उपाधि मिल जाए !

    अगर किसी ने हत्या का प्रयास किया लालच में या किसी और कारण से, वो हत्या करने में सफल हो या न हो उसकी नियत क्या थी क़यामत में उस आधार पर उसका फैसला होगा !

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  9. mujhe lagta hai ki aap abhi bhi past me rahte ho ? attit ke sayo se nikalo verna usi me dab kar rah jaoge. past me lagbhag puri duniya me england ka kabja tha to kya aaj england unko wapas mang sakta hai
    isase foolish koi baat ho hi nahi sakti. hamara desh ek loktantrik desh hai jaha apna system hai aur uske hisaab se hi agar hum chale to sahi hai.
    mujhe lagta hai ankit ko abhi democracy par aur padne ki jarurat hai.
    josh hona accha hai magar wo hosh ke sath ho to accha hai ?

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  10. @ rakesh..Imaginer
    जो लोग इतिहास पर पिस्टल से गोली दागते हैं भविष्य उन पर तोप के गोले बरसाता है(रसूल हमजातोव) ...इतिहास पढ़ना और इतिहास का बोध होना दोनों के अलग अलग आयाम हैं ... अतीत में डुबकी लगाये बिना अतीत से मुक्त होकर जीने का कोई उपाय नहीं .. राजनीति और व्यवहार की दुनिया गणित, होड और वर्चस्व की दुनिया है इसमें शक्ति-संचय/ प्रदर्शन एक अनिवार्यता है .. हक की हो या नाहक की लड़ाई तो लडनी पडती है .. आप जिस अतीत से मुक्ति की बात कर रहे हैं वह समग्र अतीत से मुक्त होने की बात है इसमें आपका वह परिवार भी शामिल होता है जिसमें आपने जन्म लिया है लेकिन इतने सूक्ष्म लोकतंत्र की समझ के विकसित होने के कोई आसार इस देश में नहीं दिखाई दे रहे ... आपने सही लिखा जोश के साथ होश भी चाहिए लेकिन होश होता क्या है क्या आप बता सकते हैं ?
    @ अंकित .. सीधी साफ और खरी बात कहनी आपको आती है .. जारी रखिये लेकिन साथ साथ अपने को तराशते हुए .. मेरी आपकी जंग अंधेरों के खिलाफ है और अंधरों को सबसे अधिक मोह अपने नाम से होता है यहाँ हिन्दू अँधेरे भी हैं मुस्लिम अँधेरे भी हैं धर्म-निरपेक्ष अँधेरे भी हैं, लोक तांत्रिक अँधेरे भी हैं लंबी फेहरिस्त है अंधेरों के खिलफ जंग में एक जलता हुआ दिया भी काफी होता है

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  11. हाँ न्याय के लिए होने वाली जंग में वैर भाव नहीं आना चाहिए किसी के भी प्रति... नहीं तो यह लड़ाई स्वार्थ की लड़ाई में बदल जाती है

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  12. धन्यवाद श्याम जी ,खुद को सुधरने की कोशिशें जारी हैं|
    मेरे दुसरे चिट्ठे 'संकलन" पर आपकी टिप्पड़ी की प्रतीक्षा है ..

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  13. और यह रचना किसकी है ऊपर भले मानुस नाम तो दिया करो !

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  14. श्याम जे यहाँ तो सिर्फ उपयोग की है "संकलन" में पूरी है और नाम भी है ....फिर भी मैं लगाये देता हूँ नाम

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  15. @ shyam1950
    aap ne bilkul sahi kaha past ke bare magar usase nikal kar bahar aana bhi jaruri hai. Magar koi sirf past me hi rahe ho galat hai.
    past se sikh lena jaruri hai magar usase bhi jyada jaruri hai present me galti na hona.
    Ye bate karke sirf aap apne man ko santosh de sakte hai .
    Agar Wakai kuch karna chahte hai to Jagrukta failana jaruri hai.
    Aur jagrukta failane ke liye hosh me rahna jaruri hai.
    Hosh me mere rahne se matlab hai ki agar aap hosh me rah kar apni baat rakhte bina kisi se Biased ho kar to hi log baat aap ki sunege.
    Agar sirf Josh me aa kar is tarah se @ankit jaise lekh likhne se sirf aap logo ke ander aur Andhere ko badayenge.
    Jo hOsh ke sath Josh me bate karne se aap logo ko sahi - Galat Samjha Sakte hai.
    Log Aap ki Baat Sunenge Aur tabhi Jagrukta fail sakti hai.
    Hosh se mera ek matlab Jagrukta failane se hai.
    Jo ki Aisi Rachnao se kabhi nahi Fail sakta,
    Haan Aap ji Deepak Ki baat kar rahe ho jo Kuch samay ke liye Tej Jal to sakta hai magar Phir jald hi apni Pehchaan kho bhi sakta hai.
    Philhaal jo Democracy hai Wo bahut AAp Ki Hamari Problems ke liye.
    mujhe lagta hai aap mere past ki Baato ko Thik Se samajhe nahi Tabhi aap Usase Bhoolane ki baat samajh rahe ho.

    जवाब देंहटाएं
  16. अंकित जी आपने अपनी बातो को बहुत अच्छे से बहुत ही विस्तारपूर्वक बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है फिर भी बहुत से ऐसे लोग है जिनके दिमाग में अच्छी बातो के लिए कोई भी स्थान
    नहीं है वैसे एक बात बताऊ आज मुस्लिमो से ज्यादा खतरा तथाकथित दोगुले हिन्दू से है जो हिन्दू होते हुए भी मुस्लिमो के पक्छधर है मुस्लिमो को बढ़ावा देने वाले भी हमारे तथाकथित हिन्दू नेता है जिन्होंने अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए हमेशा हिन्दुयो का विरोध और मुस्लिमो का पक्छ लेकर ये बताने की कोशिश की है की वे कितने सेकुलर सोच वाले है आज मुस्लिम होने का फायदा उठाकर हमारे छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ में 5 -5 मुस्लिमो को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है (1) हज कमेटी (2) उर्दू अकादमी (3) मदरसा बोर्ड (4) वक्क्फ़ बोर्ड (5) अल्फ्संख्यक आयोग ! और मेरे ख्याल से अमूमन यह स्थिति पुरे देश में होगी ! हज हाउस के लिए हमारे राज्य में आन्दोलन किये जा रहे है! कम से कम 17 - 18 स्थानों पर किसी भी व्यक्ति को बाबा बनाकर उसकी मजार बना दी गयी है! और तो और उन सभी मजारो में उर्स के नाम पर प्रत्येक हिन्दू त्योहारों के समय उर्स का आयोजन किया जाता है! एक व्यक्ति के निजी जमीं पर एक व्यक्ति को दफनाकर उसे बाबा का नाम देकर उसकी जमीन को कब्ज़ा कर लिया गया और जब उस व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट ने उसके पक्छ में फैसला दिया तो पूरा का पूरा मुस्लिम समुदाय उसके विरोध में खड़ा हो गया! सत्ता में बैठे चन्द लोगो ने उसे सह दिया और आज न्यायालय के निर्णय के बावजूद भी वह जमीन मुस्लिमो के पास है ! 400 साल पुराने हिन्दू मंदिर को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कहकर तोड़ दिया गया! अकेले रायपुर शहर में लगभग 42 मंदिरों को कलेक्टर के निर्देश पर तोडा गया और एक भी अवैध मस्जिद और मजार को छुवा भी नहीं गया! मंत्रालय के गेट के ठीक अन्दर रायपुर में वीआईपी गेट के अन्दर बने मजार को प्रशासन ने कभी भी हटाने के बारे में विचार भी नहीं किया! आज होली जैसे त्योहारों में मिडिया छापती है की पेड़ो की बलि दी जा रही है पानी की बर्बादी की जा रही है इस बार सुखी होली मनाये !........ दिवाली के समय फटाखो को लेकर ध्वनी प्रदूषण के बारे में अखबारों और समाचारों में लिखा जाता है और तो और प्रशासन ये तय करता है की कितने समय तक फटाखे फोड़े !............... हमारे हिंदुस्तान में पशु बलि पर रोक है परन्तु बकरीद के दिन हर घर में बकरे की बलि दी जाती है तब ये मिडिया यह क्यों नहीं लिखता की आज इतने लाख पशुओ को कटा जायेगा और तो और जहा बकरे बिकते है उस स्थान पर प्रशासन साफ सफाई और लाइट की व्यवस्था करके देता है! छत्तीसगढ़ में एक विधायक ने नवरात्र के पहले दिन बकरे की बलि दी क्योकि उस मंदिर और उस स्थान पर निवास करने वाले लोग सैकड़ो साल से उस प्रथा का पालन करते आ रहे है परन्तु उस घटना को मिडिया ने खूब उछाला कानून का उल्लघन कहा....... क्यों क्या पशु बलि प्रथा पर रोक के विषय में यही लिखा है की मुसलमान बलि दे सकते है हिन्दू नहीं! मेरा यही कहना है की हिंदुस्तान में आजादी के बाद से ही सौतेले बेटे (मुसलमान) को खूब प्यार दिया गया! और हिन्दू बेटे को यह कहकर की ये कहा जायेगा ये तो अपना है हमेसा उसे दुत्कारा गया परिणाम स्वरूप सौतेला तो अपना नहीं हो सका परन्तु अपना जो था उसे राजनेताओ ने दुत्कारना नहीं छोड़ा!क्यों मिडिया ये नहीं छापती की चार चार शादिया गलत है...... बुरका प्रथा गलत है........... फोन पर लिख कर या तीन बार तलाक तलाक कहने वैवाहिक सम्बन्ध विच्छेद करना गलत है......... मेहर प्रथा गलत है........ खतना करना गलत है............. नसबंदी करवाना या कंडोम का उपयोग न करना इस्लाम के खिलाफ है कहना गलत है......... एक देश में दो-दो कानून हिन्दू ला और मुस्लिम ला का होना गलत है ! सोचनीय विषय है !

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  17. अंकित जी आपने अपनी बातो को बहुत अच्छे से बहुत ही विस्तारपूर्वक बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है फिर भी बहुत से ऐसे लोग है जिनके दिमाग में अच्छी बातो के लिए कोई भी स्थान नहीं है वैसे एक बात बताऊ आज मुस्लिमो से ज्यादा खतरा तथाकथित दोगुले हिन्दू से है जो हिन्दू होते हुए भी मुस्लिमो के पक्छधर है मुस्लिमो को बढ़ावा देने वाले भी हमारे तथाकथित हिन्दू नेता है जिन्होंने अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए हमेशा हिन्दुयो का विरोध और मुस्लिमो का पक्छ लेकर ये बताने की कोशिश की है की वे कितने सेकुलर सोच वाले है आज मुस्लिम होने का फायदा उठाकर हमारे छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ में 5 -5 मुस्लिमो को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है (1) हज कमेटी (2) उर्दू अकादमी (3) मदरसा बोर्ड (4) वक्क्फ़ बोर्ड (5) अल्फ्संख्यक आयोग ! और मेरे ख्याल से अमूमन यह स्थिति पुरे देश में होगी ! हज हाउस के लिए हमारे राज्य में आन्दोलन किये जा रहे है! कम से कम 17 - 18 स्थानों पर किसी भी व्यक्ति को बाबा बनाकर उसकी मजार बना दी गयी है! और तो और उन सभी मजारो में उर्स के नाम पर प्रत्येक हिन्दू त्योहारों के समय उर्स का आयोजन किया जाता है! एक व्यक्ति के निजी जमीं पर एक व्यक्ति को दफनाकर उसे बाबा का नाम देकर उसकी जमीन को कब्ज़ा कर लिया गया और जब उस व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट ने उसके पक्छ में फैसला दिया तो पूरा का पूरा मुस्लिम समुदाय उसके विरोध में खड़ा हो गया! सत्ता में बैठे चन्द लोगो ने उसे सह दिया और आज न्यायालय के निर्णय के बावजूद भी वह जमीन मुस्लिमो के पास है ! 400 साल पुराने हिन्दू मंदिर को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कहकर तोड़ दिया गया! अकेले रायपुर शहर में लगभग 42 मंदिरों को कलेक्टर के निर्देश पर तोडा गया और एक भी अवैध मस्जिद और मजार को छुवा भी नहीं गया! मंत्रालय के गेट के ठीक अन्दर रायपुर में वीआईपी गेट के अन्दर बने मजार को प्रशासन ने कभी भी हटाने के बारे में विचार भी नहीं किया! आज होली जैसे त्योहारों में मिडिया छापती है की पेड़ो की बलि दी जा रही है पानी की बर्बादी की जा रही है इस बार सुखी होली मनाये !........ दिवाली के समय फटाखो को लेकर ध्वनी प्रदूषण के बारे में अखबारों और समाचारों में लिखा जाता है और तो और प्रशासन ये तय करता है की कितने समय तक फटाखे फोड़े !............... हमारे हिंदुस्तान में पशु बलि पर रोक है परन्तु बकरीद के दिन हर घर में बकरे की बलि दी जाती है तब ये मिडिया यह क्यों नहीं लिखता की आज इतने लाख पशुओ को कटा जायेगा और तो और जहा बकरे बिकते है उस स्थान पर प्रशासन साफ सफाई और लाइट की व्यवस्था करके देता है! छत्तीसगढ़ में एक विधायक ने नवरात्र के पहले दिन बकरे की बलि दी क्योकि उस मंदिर और उस स्थान पर निवास करने वाले लोग सैकड़ो साल से उस प्रथा का पालन करते आ रहे है परन्तु उस घटना को मिडिया ने खूब उछाला कानून का उल्लघन कहा....... क्यों क्या पशु बलि प्रथा पर रोक के विषय में यही लिखा है की मुसलमान बलि दे सकते है हिन्दू नहीं! मेरा यही कहना है की हिंदुस्तान में आजादी के बाद से ही सौतेले बेटे (मुसलमान) को खूब प्यार दिया गया! और हिन्दू बेटे को यह कहकर की ये कहा जायेगा ये तो अपना है हमेसा उसे दुत्कारा गया परिणाम स्वरूप सौतेला तो अपना नहीं हो सका परन्तु अपना जो था उसे राजनेताओ ने दुत्कारना नहीं छोड़ा!क्यों मिडिया ये नहीं छापती की चार चार शादिया गलत है...... बुरका प्रथा गलत है........... फोन पर लिख कर या तीन बार तलाक तलाक कहने वैवाहिक सम्बन्ध विच्छेद करना गलत है......... मेहर प्रथा गलत है........ खतना करना गलत है............. नसबंदी करवाना या कंडोम का उपयोग न करना इस्लाम के खिलाफ है कहना गलत है......... एक देश में दो-दो कानून हिन्दू ला और मुस्लिम ला का होना गलत है ! सोचनीय विषय है !

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  18. अंकित जी आपने अपनी बातो को बहुत अच्छे से बहुत ही विस्तारपूर्वक बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है फिर भी बहुत से ऐसे लोग है जिनके दिमाग में अच्छी बातो के लिए कोई भी स्थान नहीं है वैसे एक बात बताऊ आज मुस्लिमो से ज्यादा खतरा तथाकथित दोगुले हिन्दू से है जो हिन्दू होते हुए भी मुस्लिमो के पक्छधर है मुस्लिमो को बढ़ावा देने वाले भी हमारे तथाकथित हिन्दू नेता है जिन्होंने अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए हमेशा हिन्दुयो का विरोध और मुस्लिमो का पक्छ लेकर ये बताने की कोशिश की है की वे कितने सेकुलर सोच वाले है आज मुस्लिम होने का फायदा उठाकर हमारे छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ में 5 -5 मुस्लिमो को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है (1) हज कमेटी (2) उर्दू अकादमी (3) मदरसा बोर्ड (4) वक्क्फ़ बोर्ड (5) अल्फ्संख्यक आयोग ! और मेरे ख्याल से अमूमन यह स्थिति पुरे देश में होगी !

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  19. हज हाउस के लिए हमारे राज्य में आन्दोलन किये जा रहे है! कम से कम 17 - 18 स्थानों पर किसी भी व्यक्ति को बाबा बनाकर उसकी मजार बना दी गयी है! और तो और उन सभी मजारो में उर्स के नाम पर प्रत्येक हिन्दू त्योहारों के समय उर्स का आयोजन किया जाता है! एक व्यक्ति के निजी जमीं पर एक व्यक्ति को दफनाकर उसे बाबा का नाम देकर उसकी जमीन को कब्ज़ा कर लिया गया और जब उस व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट ने उसके पक्छ में फैसला दिया तो पूरा का पूरा मुस्लिम समुदाय उसके विरोध में खड़ा हो गया! सत्ता में बैठे चन्द लोगो ने उसे सह दिया और आज न्यायालय के निर्णय के बावजूद भी वह जमीन मुस्लिमो के पास है ! 400 साल पुराने हिन्दू मंदिर को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कहकर तोड़ दिया गया! अकेले रायपुर शहर में लगभग 42 मंदिरों को कलेक्टर के निर्देश पर तोडा गया और एक भी अवैध मस्जिद और मजार को छुवा भी नहीं गया! मंत्रालय के गेट के ठीक अन्दर रायपुर में वीआईपी गेट के अन्दर बने मजार को प्रशासन ने कभी भी हटाने के बारे में विचार भी नहीं किया! आज होली जैसे त्योहारों में मिडिया छापती है की पेड़ो की बलि दी जा रही है पानी की बर्बादी की जा रही है इस बार सुखी होली मनाये !........ दिवाली के समय फटाखो को लेकर ध्वनी प्रदूषण के बारे में अखबारों और समाचारों में लिखा जाता है और तो और प्रशासन ये तय करता है की कितने समय तक फटाखे फोड़े !............... हमारे हिंदुस्तान में पशु बलि पर रोक है परन्तु बकरीद के दिन हर घर में बकरे की बलि दी जाती है तब ये मिडिया यह क्यों नहीं लिखता की आज इतने लाख पशुओ को कटा जायेगा और तो और जहा बकरे बिकते है उस स्थान पर प्रशासन साफ सफाई और लाइट की व्यवस्था करके देता है! छत्तीसगढ़ में एक विधायक ने नवरात्र के पहले दिन बकरे की बलि दी क्योकि उस मंदिर और उस स्थान पर निवास करने वाले लोग सैकड़ो साल से उस प्रथा का पालन करते आ रहे है परन्तु उस घटना को मिडिया ने खूब उछाला कानून का उल्लघन कहा....... क्यों क्या पशु बलि प्रथा पर रोक के विषय में यही लिखा है की मुसलमान बलि दे सकते है हिन्दू नहीं! मेरा यही कहना है की हिंदुस्तान में आजादी के बाद से ही सौतेले बेटे (मुसलमान) को खूब प्यार दिया गया! और हिन्दू बेटे को यह कहकर की ये कहा जायेगा ये तो अपना है हमेसा उसे दुत्कारा गया परिणाम स्वरूप सौतेला तो अपना नहीं हो सका परन्तु अपना जो था उसे राजनेताओ ने दुत्कारना नहीं छोड़ा!क्यों मिडिया ये नहीं छापती की चार चार शादिया गलत है...... बुरका प्रथा गलत है........... फोन पर लिख कर या तीन बार तलाक तलाक कहने वैवाहिक सम्बन्ध विच्छेद करना गलत है......... मेहर प्रथा गलत है........ खतना करना गलत है............. नसबंदी करवाना या कंडोम का उपयोग न करना इस्लाम के खिलाफ है कहना गलत है......... एक देश में दो-दो कानून हिन्दू ला और मुस्लिम ला का होना गलत है ! सोचनीय
    कम से कम 17 - 18 स्थानों पर किसी भी व्यक्ति को बाबा बनाकर उसकी मजार बना दी गयी है! और तो और उन सभी मजारो में उर्स के नाम पर प्रत्येक हिन्दू त्योहारों के समय उर्स का आयोजन किया जाता है! एक व्यक्ति के निजी जमीं पर एक व्यक्ति को दफनाकर उसे बाबा का नाम देकर उसकी जमीन को कब्ज़ा कर लिया गया और जब उस व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट ने उसके पक्छ में फैसला दिया तो पूरा का पूरा मुस्लिम समुदाय उसके विरोध में खड़ा हो गया! सत्ता में बैठे चन्द लोगो ने उसे सह दिया और आज न्यायालय के निर्णय के बावजूद भी वह जमीन मुस्लिमो के पास है ! 400 साल पुराने हिन्दू मंदिर को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कहकर तोड़ दिया गया! अकेले रायपुर शहर में लगभग 42 मंदिरों को कलेक्टर के निर्देश पर तोडा गया और एक भी अवैध मस्जिद और मजार को छुवा भी नहीं गया! मंत्रालय के गेट के ठीक अन्दर रायपुर में वीआईपी गेट के अन्दर बने मजार को प्रशासन ने कभी भी हटाने के बारे में विचार भी नहीं किया! आज होली जैसे त्योहारों में मिडिया छापती है की पेड़ो की बलि दी जा रही है पानी की बर्बादी की जा रही है इस बार सुखी होली मनाये !........ दिवाली के समय फटाखो को लेकर ध्वनी प्रदूषण के बारे में अखबारों और समाचारों में लिखा जाता है और तो और प्रशासन ये तय करता है की कितने समय तक फटाखे फोड़े!

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  20. हज हाउस के लिए हमारे राज्य में आन्दोलन किये जा रहे है! कम से कम 17 - 18 स्थानों पर किसी भी व्यक्ति को बाबा बनाकर उसकी मजार बना दी गयी है! और तो और उन सभी मजारो में उर्स के नाम पर प्रत्येक हिन्दू त्योहारों के समय उर्स का आयोजन किया जाता है! एक व्यक्ति के निजी जमीं पर एक व्यक्ति को दफनाकर उसे बाबा का नाम देकर उसकी जमीन को कब्ज़ा कर लिया गया और जब उस व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट ने उसके पक्छ में फैसला दिया तो पूरा का पूरा मुस्लिम समुदाय उसके विरोध में खड़ा हो गया! सत्ता में बैठे चन्द लोगो ने उसे सह दिया और आज न्यायालय के निर्णय के बावजूद भी वह जमीन मुस्लिमो के पास है ! 400 साल पुराने हिन्दू मंदिर को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कहकर तोड़ दिया गया! अकेले रायपुर शहर में लगभग 42 मंदिरों को कलेक्टर के निर्देश पर तोडा गया और एक भी अवैध मस्जिद और मजार को छुवा भी नहीं गया! मंत्रालय के गेट के ठीक अन्दर रायपुर में वीआईपी गेट के अन्दर बने मजार को प्रशासन ने कभी भी हटाने के बारे में विचार भी नहीं किया! आज होली जैसे त्योहारों में मिडिया छापती है की पेड़ो की बलि दी जा रही है पानी की बर्बादी की जा रही है इस बार सुखी होली मनाये !........ दिवाली के समय फटाखो को लेकर ध्वनी प्रदूषण के बारे में अखबारों और समाचारों में लिखा जाता है और तो और प्रशासन ये तय करता है की कितने समय तक फटाखे फोड़े !............... हमारे हिंदुस्तान में पशु बलि पर रोक है परन्तु बकरीद के दिन हर घर में बकरे की बलि दी जाती है तब ये मिडिया यह क्यों नहीं लिखता की आज इतने लाख पशुओ को कटा जायेगा और तो और जहा बकरे बिकते है उस स्थान पर प्रशासन साफ सफाई और लाइट की व्यवस्था करके देता है! छत्तीसगढ़ में एक विधायक ने नवरात्र के पहले दिन बकरे की बलि दी क्योकि उस मंदिर और उस स्थान पर निवास करने वाले लोग सैकड़ो साल से उस प्रथा का पालन करते आ रहे है परन्तु उस घटना को मिडिया ने खूब उछाला कानून का उल्लघन कहा....... क्यों क्या पशु बलि प्रथा पर रोक के विषय में यही लिखा है की मुसलमान बलि दे सकते है हिन्दू नहीं! मेरा यही कहना है की हिंदुस्तान में आजादी के बाद से ही सौतेले बेटे (मुसलमान) को खूब प्यार दिया गया! और हिन्दू बेटे को यह कहकर की ये कहा जायेगा ये तो अपना है हमेसा उसे दुत्कारा गया परिणाम स्वरूप सौतेला तो अपना नहीं हो सका परन्तु अपना जो था उसे राजनेताओ ने दुत्कारना नहीं छोड़ा!क्यों मिडिया ये नहीं छापती की चार चार शादिया गलत है...... बुरका प्रथा गलत है........... फोन पर लिख कर या तीन बार तलाक तलाक कहने वैवाहिक सम्बन्ध विच्छेद करना गलत है......... मेहर प्रथा गलत है........ खतना करना गलत है............. नसबंदी करवाना या कंडोम का उपयोग न करना इस्लाम के खिलाफ है कहना गलत है......... एक देश में दो-दो कानून हिन्दू ला और मुस्लिम ला का होना गलत है ! सोचनीय

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  21. हज हाउस के लिए हमारे राज्य में आन्दोलन किये जा रहे है! कम से कम 17 - 18 स्थानों पर किसी भी व्यक्ति को बाबा बनाकर उसकी मजार बना दी गयी है! और तो और उन सभी मजारो में उर्स के नाम पर प्रत्येक हिन्दू त्योहारों के समय उर्स का आयोजन किया जाता है! एक व्यक्ति के निजी जमीं पर एक व्यक्ति को दफनाकर उसे बाबा का नाम देकर उसकी जमीन को कब्ज़ा कर लिया गया और जब उस व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट ने उसके पक्छ में फैसला दिया तो पूरा का पूरा मुस्लिम समुदाय उसके विरोध में खड़ा हो गया! सत्ता में बैठे चन्द लोगो ने उसे सह दिया और आज न्यायालय के निर्णय के बावजूद भी वह जमीन मुस्लिमो के पास है ! 400 साल पुराने हिन्दू मंदिर को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कहकर तोड़ दिया गया! अकेले रायपुर शहर में लगभग 42 मंदिरों को कलेक्टर के निर्देश पर तोडा गया और एक भी अवैध मस्जिद और मजार को छुवा भी नहीं गया! मंत्रालय के गेट के ठीक अन्दर रायपुर में वीआईपी गेट के अन्दर बने मजार को प्रशासन ने कभी भी हटाने के बारे में विचार भी नहीं किया! आज होली जैसे त्योहारों में मिडिया छापती है की पेड़ो की बलि दी जा रही है पानी की बर्बादी की जा रही है इस बार सुखी होली मनाये !........ दिवाली के समय फटाखो को लेकर ध्वनी प्रदूषण के बारे में अखबारों और समाचारों में लिखा जाता है और तो और प्रशासन ये तय करता है की कितने समय तक फटाखे फोड़े !............... हमारे हिंदुस्तान में पशु बलि पर रोक है परन्तु बकरीद के दिन हर घर में बकरे की बलि दी जाती है तब ये मिडिया यह क्यों नहीं लिखता की आज इतने लाख पशुओ को कटा जायेगा और तो और जहा बकरे बिकते है उस स्थान पर प्रशासन साफ सफाई और लाइट की व्यवस्था करके देता है! छत्तीसगढ़ में एक विधायक ने नवरात्र के पहले दिन बकरे की बलि दी क्योकि उस मंदिर और उस स्थान पर निवास करने वाले लोग सैकड़ो साल से उस प्रथा का पालन करते आ रहे है परन्तु उस घटना को मिडिया ने खूब उछाला कानून का उल्लघन कहा....... क्यों क्या पशु बलि प्रथा पर रोक के विषय में यही लिखा है की मुसलमान बलि दे सकते है हिन्दू नहीं!

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  22. हज हाउस के लिए हमारे राज्य में आन्दोलन किये जा रहे है! कम से कम 17 - 18 स्थानों पर किसी भी व्यक्ति को बाबा बनाकर उसकी मजार बना दी गयी है! और तो और उन सभी मजारो में उर्स के नाम पर प्रत्येक हिन्दू त्योहारों के समय उर्स का आयोजन किया जाता है! एक व्यक्ति के निजी जमीं पर एक व्यक्ति को दफनाकर उसे बाबा का नाम देकर उसकी जमीन को कब्ज़ा कर लिया गया और जब उस व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट ने उसके पक्छ में फैसला दिया तो पूरा का पूरा मुस्लिम समुदाय उसके विरोध में खड़ा हो गया! सत्ता में बैठे चन्द लोगो ने उसे सह दिया और आज न्यायालय के निर्णय के बावजूद भी वह जमीन मुस्लिमो के पास है ! 400 साल पुराने हिन्दू मंदिर को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कहकर तोड़ दिया गया! अकेले रायपुर शहर में लगभग 42 मंदिरों को कलेक्टर के निर्देश पर तोडा गया और एक भी अवैध मस्जिद और मजार को छुवा भी नहीं गया! मंत्रालय के गेट के ठीक अन्दर रायपुर में वीआईपी गेट के अन्दर बने मजार को प्रशासन ने कभी भी हटाने के बारे में विचार भी नहीं किया! आज होली जैसे त्योहारों में मिडिया छापती है की पेड़ो की बलि दी जा रही है पानी की बर्बादी की जा रही है इस बार सुखी होली मनाये !........ दिवाली के समय फटाखो को लेकर ध्वनी प्रदूषण के बारे में अखबारों और समाचारों में लिखा जाता है और तो और प्रशासन ये तय करता है की कितने समय तक फटाखे फोड़े !.

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आप जैसे चाहें विचार रख सकते हैं बस गालियाँ नहीं शालीनता से