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शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

.जय श्री राम.

जिस हिन्दू ने नभ में जाकर, नक्षत्रों... को दी हे संज्ञा..!
जिसने हिमगिरी का वक्ष चीर, भू को दी हे पावन गंगा..!!
जिसने सागर की छाती पे, पाषाणों को तैराया हे..!
वर्तमान की पीड़ा को हर, जिसने इतिहास बनाया हे..!!
जिसके आर्यों ने घोष किया, क्रिन्वंतों विश्वार्यम का..!
जिसका गौरव कम कर न सकी, रावण की स्वर्णमयी लंका..!!
जिसके यज्ञों का एक हव्य, सौ सौ पुत्रों का जनक रहा..!
जिसके आँगन में भयाक्रांत, धनपति बरसाता कनक रहा..!!
जिसके पावन बलिष्ठ तन की रचना, तन दे दधीच ने की..!
राघव ने वन वन भटक भटक, जिस तन में प्राण प्रतिष्ठा की..!!
जौहर कुंडों में कूद-कूद, सतियों ने जिसे दिया सत्व..!
गुरुओं गुरुपुत्रों ने जिसमे, चिर्बलिदानी भर दिया तत्त्व...!!
वो शाश्वत हिन्दू जीवन क्या? स्मरणीय मात्र रह जाएगा..???
इसकी पावन गंगा का जल, क्या नालों में बह जाएगा...???
इसके गंगाधर शिवशंकर, क्या ले समाधी सो जायेंगे....???
इसके पुष्कर, इसके प्रयाग.. क्या गर्त मात्र हो जायेंगे....???
यदि तुम ऐसा नहीं चाहते, तो फिर तुमको जागना होगा..!!!
हिन्दू-राष्ट्र का बिगुल बजाकर, दानव-दल को डरना होगा..!!!

5 टिप्‍पणियां:

  1. सबसे पहले तो आपको और आपके परिवारवालों को
    दशहरा के शुभ अवसर पर शुभकामनाएँ...
    बहुत सुंदर और प्रभावशाली रचना लिखी है आपने .
    इस प्रस्तुति के लिए आपको आभार .

    जवाब देंहटाएं
  2. @ विरेन्द्र सिंह चौहान

    hamne likhee nahi apitu SADHVEE RITAMBHAR JEE ke mukh se sunee hai :)

    जवाब देंहटाएं
  3. ISLAAM dharama kya hai yahan dekhiye,,,


    http://hinduraaj.blogspot.com/2010/10/roja-iftaar-dawat-in-saudi-arabia.html

    जवाब देंहटाएं

आप जैसे चाहें विचार रख सकते हैं बस गालियाँ नहीं शालीनता से