दिल्ली के रामलीला मैदान में क्या हुआ था ४ और ५ जून की रात को ये आप में से अधिकांश लोग जानते हैं परन्तु शायद आप में से बहुतों ने वही सुना होगा जो आप को मीडिया ने बताया और मीडिया ने आप को वही बताया जो सरकार चाहती थी यद्यपि वहां पर उपस्थित बहुत से लोगों ने भी इस बारे में लेख लिखे थे परन्तु मुझे लग रहा है की वो शायद मीडिया के शोर से कम है इस लिए मुझे भी आप सभी को बताना चाहिए जो मैंने देखा था वहां पर ताकि आप लोगो को पता चल सके की वास्तव में वहां पर क्या हुआ था और की मिडिया ने इतना अधिक तोड़ मरोड़ दिखाया की की वास्तविकता से बहुत दूर हो गयी घटना अलग अलग बाते और बेसिर पैर बातो को चटकीला रुख दिया जा रहा था वह की कष्टप्रद स्थिति की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा था |
मैं रामलीला मैदान में ४ जून शनीवार की रात को 7 बजे से कुछ देर बाद पहुंचा था मैं वहां पर बाबा के समर्थन में बैठने के विचार से गया था मैं अनशन पर नहीं बैठ रहा था | जब मैं पहुंचा तब बाबा की प्रेसवार्ता चल रही थी और सरकार के द्वारा फैलाये गए इस भ्रम का निवारण हो चुका था की आन्दोलन समाप्त हो चुका है | बाबा पत्रकारों के सभी सवालों का पूरी प्रमाणिकता के साथ उत्तर दे रहे थे कई प्रश्न थे परन्तु एक महिला पत्रकार का प्रश्न कुछ अधिक याद आ रहा है उसने पूछा था "बाबा जी , आप ने इतने लोगों के यहाँ एकत्रित कर लिया और आप को अपनी गिरफ्तारी की आशंका भी है तो अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?" बाबा ने उत्तर दिया "हमारा कोई ही सत्याग्राही कोई हिंसा नहीं करेगा " | इस पत्रकार वार्ता के बाद दो मुस्लिम व्यक्तियों ने सभा को संबोधित किया और इसके बाद बाबा रामदेव जी से सभा को संबोधित और किया हमें निर्दश दिया की सभी लोग पानी पीकर आयें और फिर विश्राम करें सत्र के समाप्ति की घोषणा कर दी गयी इसके कुछ समय बाद मंच की लाईट भी बंद हो गयी |हम लोग बाहर घूमने चले गए क्यूंकि मैं अनशन पर नहीं था इसी लिए मैं चाय और नाश्ता करके वापस आ गया और फिर मैंने सोने के लिए मुख्य पंडाल के थी बाहर छोटे पंडाल में लेट गया वहां पर बैठे कुछ और सत्यागाहियों से हमारी बात होती रही थे रात को ११ बजे तक तभी एक स्वयंसेवक ने आकर हमसे सोने के लिए कहा क्यों की हमारे जगाने से दुसरे लोगों को असुविधा हो सकती थी और हम सभी रात को ११ बजे सो गए |
रात को अचानक मेरी नींद खुली तो मुझे मंच पर कुछ शोर सुनायी दिया और मंच पर कुछ प्रकाश दिखाई दिया मैंने अपने cell में तुरंत समय देखा तो समय १:02 था | मुझे किसी अनिष्ट की आशंका हो गयी थी क्यों की बाबा ने पहले ही कह दिया था की उनकी गिरफ्तारी हो सकती है मैंने तुरन अपने पास सो रहे लगभग 4 या 5 लोगों को जगाया और फिर मैंने अपने जूते पहने और अपना सामान अपने बैग में रखकर मैं दौड़ कर मंच की तरफ जाने लगा (मैं वहां उपस्थित लोगों में से लगभग सबसे पीछे था) | मैं कुछ 200 मीटर ही गया था की माइक पर बाबा का स्वर सुनायी दिया "मैं यहीं हूँ .मैं आप सब के बीच ही हूँ और अंतिम समय तक आप के साथ ही रहूँगा आप सभी अपने स्थान पर बैठे रहें |"
हम लोगों को आशा थी की शायद इसके बाद पुलिसे बाबा को गिरफ्तार कर के ले जायेगी इसके बाद बाबा ने फिर कहा की "मुझे एक तार वाला माइक चाहिए क्योंकी इसकी बैटरी ख़तम हो सकती है और एक व्यक्ति छाए जो माइक को पकड़ सके " परन्तु शायद पुलिस तो कुछ और ही सोच कर आयी थी वो बाबा की तरफ बढ़ने लगी भक्तों को के साथ मार पीट करते हुए बाबा ने फिर कहा "मेरा दो स्तर का सुरक्षा चक्र है , अन्दर वाले चक्र में बहाने हैं और बाहर वाले चक्र में युवा हैं पुलिसे इस चार को ना तोड़े आप लोग मुझे गिरफ्तार करने आये हैं मैं गिरफ्तारी देने के लिए तैयार हूँ "लेकिन पुलिस इस समय तक महिलाओं और लड़कियों पर लाठियां चलाने लगी थी बाबा ने फिर कहा "आप लोग बहनों के साथ धक्का मुक्की मत करिए " लेकिन पुलिसे ने बाबा की कोई बात नहीं सुनी बाबा ने फिर कहा "आप लोग एक पुलिसे कर्मी होने से पहले एक भारतीय है इस प्रकार से निहत्थों पर प्रहार मत करिए इन लोगों ने आप का क्या बिगाड़ा है अगर यहाँ पर पुलिसे का कोई बड़ा अधिकारी है तो वो हमसे बात करे ......अगर पुलिसे में कोई बड़ा अधिकारी है तो वो आकर हमसे बात करे हम गिरफ्तारी देने के लिए तैयार हैं " लेकिन बाबा की इस अपील के जवाब में भी पुलिस की तरफ से लाठियां ही चलीं (अधिकारिक र्रोप से पुलिस का कहना है की वो बाबा वो सुरक्षा संबंधी खतरे के बारे में बताने के लिए गए थे ) इसके बाद बाबा ने भक्तों से कहा "आप सभी लोग पुलिस को यहाँ तक मत आने दीजिये घेरा बना लीजिये " बाबा के इस आदेश को सुन कर सभी लोग जो अपने स्थान पर बैठे हुए थे वो दौड़ कर मंच की तरफ जाने लगे बाबा की रक्षा के लिए हमें समझ में आ गया था अब पुलिस के साथ संघर्ष हो सकता है |
हम कुछ लोग पंडाल के बने गलियारे से होकर मंच के तरफ जा रहे थे थोड़ी दूर चलने के ही बाद कुछ पुलिसकर्मी उस रस्ते को रोककर खड़े हुए थे , वो पुलिसकर्मी लाठियां लिए हुए थे और हेलमेट और बाकी सभी सुरक्षा उपकरणों से युक्त थे मतलब वो सीधे-सीधे संघर्ष करने के प्रयास में थे और उन्होंने हम लोगों पर लाठियां चलानी शुरू कर दीं | हम लोग बिना कोई प्रतिरोध किये उस गलियारे को छोड़ कर बाईं तरफ से मंच की तरफ बढे और दौड़ कर मंच के पास पहुच गए | उस समय तक मंच के पास बहुत भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी और बाबा भी मंच पर बाईं तरक्फ़ ही थी तभी कुछ लोगों ने पीछे की तरफ ध्यान दिलाया तो पंडाल की बाईं तरफ से पुलिसकर्मी मंच की तरफ पहुँचाने का प्रयास कर रहे थे| हम लोगों ने उन पुलिसकर्मियों को आगे नहीं बढ़ने दिया और नाम्च की तरफ जाने के रस्ते को घेर लिया इससे वो पुलिसकर्मी वापस लौट गए उनके वापस जाने के बाद हम लोड फिर से मंच के ठीक नीचे बाईं तरफ पहुँच गए थे और आगे के क्या होगा इसकी प्रतीक्षा कर रहे थे | तभी मंच पर चढ़े कुछ लोगों ने हमसे कहा की मंच के पीछे जाकर घेरा बनाओ क्योंकी पुलिसे पीछे से मंच पर चढ़ने की कोशिश कर रही है | हम लगभग 30 लोग मंच के पीछे चले गए और वहां पर जो पुलिस्कर्मे खड़े थे और मंच की तरफ जा रहे थे उनके सामने घेरा बना कर खड़े हो गए | हम लोग वन्देमातरम और भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे | हमारे घेरे के कारण तो वो पुलिसकर्मी कुछ पीछे हट गए और वहां लगे हुए एक लोहे के द्वार के ठीक बाहर खड़े हो गए इस समय मैं सबसे आगे खड़े हुए 4 या 5 लोगों में से था तभी उन पुलिसकर्मियों के अधिकारी ने उनको आदेश दिया हमें मारने का और उन पुलिस्स्कर्मियों ने हम पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी | यह एक विशुद्ध रूप से भगदड़ मचने का प्रयास था क्यों की उस स्थान पर(मंच के पीछे) ना तो पर्याप्त प्रकाश था और ना ही जमीन ही समतल थी इस लिए भगदड़ में गिरने की संभावना और चोटिल होने की संभावना बहुत अधिक थी (और शायद यही पुलिस का लक्ष्य था )| इस लाठीचार्ज के कारण हम लोगों को वहां से पीछे हटाना पड़ा परन्तु बिना किसी भगदड़ के और हम लोग फिर से मंच के पास आ गए बायीं तरफ परन्तु इस समय तक बाबा हमें दिखाई नहीं दे रहे थे और हम मंच के पास ही खड़े थे और पूरी भीड़ मंच की तरफ ही बढ़ रही थी |
इसके लगभग १० मिनट के बाद मंच पर खड़े पुलिसकर्मियों के द्वारा अश्रु गैस का पहला गोला छोड़ा गया (लगभग उसी स्थान पर जहाँ पर बाबा अपने समर्थकों के बीछ में गुम हो गए थे ) ये पुलिस का एक और भगदड़ मचाने का ही प्रयास था | आसू गैस का गोला आते ही मैंने अपना रुमाल गीला करके अपने मुह में बंद लिया क्योंकी मुझे अश्रु गैस के प्रभाव पता थे और इसके बाद जो लोग अभी तक बैठे हुए थे मैंने उनको उठाना प्रारंभ किया और बताया की आंसू गैस के कारण कुछ भी दिखाना बंद हो जाएगा या भगदड़ भी हो सकती है और भी बहुत से लोग ऐसा ही कर रहे थे | इस सब में मैं सबसे आगे के कुछ लोगों में हो गया था और मुझे सब मुछ साफ साफ दिख रहा था |
लोग इस सब के बाद अपने स्थान पर खड़े तो हो गए थे परन्तु पीछे हटाने के लिए कोई तैयार नहीं था |इस सब के बीच में अफरातफरी और धुएं के कारण बाबा लोगों को दिखाई देना बंद हो गए थे | वहां पर उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति का यही मत था की अगर बाबा को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है तो हम अनशन और सत्याग्रह जारी रखेंगे |इसके बाद अश्रु गैस के गोले भारी मात्र में चलने लगे थे मंच के ऊपर से और अगर आंसू गैस के गोलों की संख्या के बारे में कुछ मानक होते हैं तो उसका निश्चित रूप से उल्लंघन हुआ होगा | मुझे केवल धुएं के कारण 100 मीटर दूरी की चीज भी नहीं दिखाई दे रही थी (पुलिस के अनुसार १८ गोले चलाये गए थे |) |पुलिसकर्मी अब पूरी शक्ति से लाठियां भी चलने लगे थे और वो हर किसी को मार रहे थे हम लोग तो लाठियां खाने के लिए थे शे परन्तु शायद महिलाओं से तो महिला पुलिस निपटाती है , लेकिन वहां पुरुष पुलिसकर्मी ही महिलाओं पर भी लाठियां चला रहे थे (आप ने अगर महिलापुलिस्कर्मियों की कोई फोटो देखि है तो वो शायद वहां पर केवल फोटो के लिए ही बुलाई गयी होंगी करवाई में वो नहीं थीं )यही नहीं वृद्धों और 8 वर्ष के बच्चों पर भी लाठियां चलायी जा रही थीं | इस सत्याग्रह में लोग सारे देश से आये थे और लम्बे समय तक रुकने के लिए आये थे | इस स्थिति में उनके पास बहुत सामान था और उसे उठाकर भगा नहीं जा सकता था लेकिन पुलिस कर्मी बाहर लिकल रहे लोगों को भी मार रहे थे | सत्याग्रही भूखे थे नींद में थे जबकी पुलिसकर्मी पूरी तरह से तैयार थे | सत्याग्रहियों के पास भरी सामान था जिसको लेकर तेज गति से चलाना भी संभव नहीं था और पुलिसकर्मियों के पास लाठी , हेलमेट और अन्य सुरक्षा उपकरण थे | सत्याग्रही 8 वर्ष के बच्चे भी थे 70 वर्ष के बुजुर्ग भी और पुलिसकर्मी सभी युवा लेकिन फिर भी पुलिसकर्मी हिंसक थे और सत्याग्रही शांत पुलिसकर्मी हुडदंगी और दंगाई थे जबकी सत्याग्रही शांत और अनुसशित थे | सत्याग्रहियों ने न तो कोई भगदड़ होने दी और न ही पुलिसकर्मियों पर प्रहार किया क्यों की बाबा ने हमें ऐसा करने से माना किया हुआ था (अगर आप ने कोई समाचार सुना है तो आप पत्रकारों की कल्पनाशीलता की प्रशंशा कर सकते हैं |)मैंदान से निकालने के लिए केवल एक छोटा सा दरवाजा था जिससे एक बार में केवल एक या दो लोग ही निकल सकते थे (जो दो आपातकालीन दरवाजे बनाये गए थे उनका भी प्रयोग नहीं किया गया लोगों को निकालने के लिए इससे बड़ा आपातकाल क्या हो सकता था ) मैं बाहर निकालने वाले अंतिम शायद 100 लोगों में से था | जब हम लोग हटते हुए दरवाजे तक आ गए थे तो वहां भीड़ बहुत ज्यादा हो गयी थी क्योंकी निकलने के लिए एक छोटा ही दरवाजा था और पुलिस को ये दिख भी रहा हटा परन्तु पुलिस तब भी अंत तक लाठियां चलाती रही ताकि किसी तरह से भगदड़ मच जाय लेकिन सभी सत्याग्रही अत्यंत अनुशाषित थे इसलिए वहां ना तो कोई भगदड़ हुई और ना ही कोई हादसा | तभी किसी ने ऊँचे स्थान पर चढ़ कहा की "अब हम लोगों को जंतर मंतर जाना धरना देने के लिएसंपूर्णानंद जी आ रहे हैं उच्चाधिकारियों की तरफ से आदेश आया है "| ये सुन कर मैं भी रामलीला मैदान से बाहर आ गया |
इस सब में केवल 2 घंटे का समय ही दिया गया जिसमे राम लीलामैदान खाली करना था और मैदान में १ लाख लोग थे |जलियावाला बाग़ कांड इतिहास से निकल कर वास्तिविकता में आगया था सामने फिर यह सिर्फ बाबा की वाणी का ही प्रभाव था की लोगो ने सयम रखा नहीं तो एक पुलिस बार बार यह प्रयास कर रही थी की सत्याग्रही भड़क कर प्रतिरोध करे और 8000 (जी हाँ 5000 केवल सरकारी आंकड़ा है)पुलिस को गोलियां चलने का बहाना मिले |वहा से कैमरे चोरी कर लिए गए और एडिट करके दिखाया जा रहा है |
(इसके बाद भी बताने के लिए बहुत कुछ है आर आप लोग सुनना चाहेंगे तो बता दूंगा देहरादून से वापस आ कर अब मैं देहरादून जा रहा हूँ|)
(इसके बाद भी बताने के लिए बहुत कुछ है आर आप लोग सुनना चाहेंगे तो बता दूंगा देहरादून से वापस आ कर अब मैं देहरादून जा रहा हूँ|)
सच के अलावा कोई दूसरा शब्द नहीं है
जवाब देंहटाएंaur bi bataiye..bahut hi bura hua..itni raat ko itne saare log kahan gaye..
जवाब देंहटाएंye govt ka torture hai..raat ko maa,beti,behen kahan jayenge itna bhi nahi socha..
sab media bik chuki hai..
Ab is 'Sarkar' ko sabak sikhana hi publik ka lakshya hona chahiye.
जवाब देंहटाएंनिश्चय की रामलीला मैदान का सरकारी आतंकवाद का नंगा नाच जलियांवाला बाग से भी शर्मनाक और बर्बर था....इस घटना के दोषी पुलिस वालों तथा आदेश देने वाले मंत्रियों को लाल किले पे उल्टा लटकाकर फांसी दिए जाने की जरूरत है...
जवाब देंहटाएंसरकार से मेरा विनम्र निवेदन है कि बाबा जी की माँगो को मान कर उनका उपवास तुडवाए, अन्यथा बाबाजी को कुछ हुआ तो किस प्रकार की जनप्रतिक्रिया होगी?? अभी सरकार और उसके गुंडे मंत्रियो को समझ मे नही आ रहा है , कल को कुछ हो जाएगा तो भागते फ़िरोगे, और जनता दौड़ा दौड़ा कर मारेगी , इसलिए वक़्त रहते सुधर जाओ , ठीक रहेगा तुम लोगो के लिए भी और देश के लिए भी!
जवाब देंहटाएंअंकित जी, ये लिखने के लिए बहुत धन्यवाद। कृपया इस घटना पर और विस्तार से लिखिए। उन २-३ घंटों में और क्या क्या हुआ, महिलाओं पर क्या अत्याचार हुए, ये दुनिया के सामने रखें।
जवाब देंहटाएंजी हाँ अवश्य , मैं एक और लेख लिखूंगा उन चीजों के बारे में बताने के लिए जो इसमें छुट गयीं या जो मैदान से बहार निकालने के बाद हुई थीं , इस लेख में तो सबसे महत्वपूर्ण बाबा के शब्द हैं और पुलिस का रवैया ...पुलिस आधिकारिक रूप से कह रही हिया की बाबा भक्तों को भड़का रहे थे जबकी मैंने बाबा के शब्द अक्षरशः लिख दिए हिं आप स्वयं ही पढ़ लीजिये
जवाब देंहटाएंबहुत सजीव चित्रण ...आगे की बात जानने की उत्सुकता है ! जल्द पोस्ट करें !
जवाब देंहटाएंहमे सारी बात बताइये की आखिर हुआ क्या था
जवाब देंहटाएंअन्दीप ज काही हुआ था जो लिखा है इस पोस्ट में
जवाब देंहटाएंhai to gali dene layak ghatna par nahin doonga, bas itna hi kahna hai vandemataram
जवाब देंहटाएंअंकित भाई यह जानकारियाँ बेहद काम आने वाली हैं...मीडिया में तो कुछ दिखाया नहीं गया...किन्तु आपकी आपबीती से कुछ ज्ञान मिलेगा...
जवाब देंहटाएंमैंने भी उस रात की अपनी कहानी लिखी थी...
http://pndiwasgaur.blogspot.com/2011/06/blog-post_07.html
देश के कुछ बुद्धूजीवी वर्ग ने भी दिमाग की दही कर रखी है...इस पर भी कुछ लिखा था...
http://pndiwasgaur.blogspot.com/2011/06/blog-post_10.html
hame sampurna satya samaj ke samane lana hai. ye media bhi to sarakar ki hi hastak hai. ve to jhuth ke sath Pujya Baba ji ko badanam karane ki koshish me hi lagi hui hai. Hame sarakar aur media ka bhi parda fash karana hai. ye log Baba ne anshan kyo kiya is mudde ko chhod kar aur jo anyay hua use chhod kar sirf congress ko jo chahiye vohi dikhati hai. aap krupaya sab sach samane layiye. ham aapake saath hai. Jai Hind !
जवाब देंहटाएंइस निंदनीय कृत्य को देखने सुनने के बाद भी कुछ कुतर्की अपने बेतुके प्रश्नों के साथ अभी भी सर उठा रहे हैं । अत्यंत खेदजनक है ये।
जवाब देंहटाएंउन कुतर्कियों के अपने निजी स्वार्थ होंगे हमें तो भ्रम से बचे रहकर लक्ष्य की तरफ बढ़ाते जाना है
जवाब देंहटाएंvery good plz aage ki suchna bhi post karo
जवाब देंहटाएंhamari press sarkar ne khareed rakhi hai aur sarkar mein criminal aur bhrastachari logon ka varchasav hai.age ki ranneeti in sabhi baton ko dhyan mein rakh kar banani chahiye aur 4 june aur uske baad jo hua aur jo ho raha hai uska gyan samast bharat ke logon ko hona chahiye.
जवाब देंहटाएंin our country out of 100. 60% people corrupt and 20%people can sell this country for their profit.now black money people are going to together how can keep stand their empire they are thinking.these people can do any thing.they may be kill also ramdev. so we should stand firmly with babaji JAIHIND JAI BHART
जवाब देंहटाएंकांग्रेसी कुत्तों की बर्बरता का उदाहरन..मीडिया भी बिक चुकी है ..
जवाब देंहटाएंबाबा रामदेव जिंदाबाद
TRIPLE "S" KO KHATMA KAR DENA CHAHIYE
जवाब देंहटाएंS- SINGH
S- SONIYA
S- SHILA KI JAWANI
सत्य की विजय होगी. मेरा आपसे अनुरोध है कि इस वृतांत को एफिडेविट के रूप में सुप्रीम कोर्ट को भेजें.
जवाब देंहटाएंes sarkar ka koi hak nai rahta hai ki vo sarkar me rahe.
जवाब देंहटाएंjahna tak bharat pe congress ka raj hai tab tak ham kitna bhi jor ki avaj se kahe, kuchh bhi hone vala nahi. congress ko hatane ke siva aur koi vikalp nahi hai hamare pas. babaramdev sacche insan hai, lekin ramlila maidan me unke aur sahyogiyo ke sath jis barbarta se congres valo ne jo suluk kiya usase baba ramdev ki chhabi amjanta me thodi kharab ho gai hai, aur vo congresiyo ki sajis hi thi ki aisa ho. ab samjkar hame congres ko bharat ki janta ke samne khulla karna hai, aur dilhi ki gaddi se hat jay aisa upay karna hai, bas. aur kuchh nahi.
जवाब देंहटाएंparantu itne ke baad bhi hamare deshwashi abhi tak nahin jag rahe hain
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