मैं रामलीला मैदान में हुयी रावनलीला का प्रत्यक्षदर्शी हूँ और मैंने आप लोगों को बताया भी है की वहां पर वास्तव में हुआ क्या था अब यह भी सुन लीजिये की वहां से निकले जाने के बाद लोगों की क्या प्रतिक्रिया थी और पुलिस का क्या रवैया था |
इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी मैं अपने फेसबुक और ब्लॉग के कुछ मित्रों को लगातार SMS से दे रहा था और मुझे TV पर क्या दिखाया जा रहा है ये पता चल रहा था |मीडिया बाबा के बारे में अलग अलग और भ्रामक तथ्य प्रस्तुतं कर रहा था |मैदान से जब मैं बाहर आया तब तक शायद लोगों का एक समूह जंतर मंतर तक जा चुका था | मैंदान से बाहर आने के बाद एक पेड़ के नीचे बैठ गया वहां पर पास और भी लोग २ या ३ के समूह में बैठे हुए थे | हम लोग रामलीला मैदान के बाहर बैठे हुए थे और ३ या २ के समूह में बैठे हुए थे इसके बावजूद पुलिस ने हमें यहाँ से भी भागना शुरू कर दिया जबकी यह तो शायद धारा 144 का भी उल;लंघन नहीं है क्यूँकी हम २ या तीन या १ के समूह में थे और पुलिस भागने के लिए हर जगह डंडे का ही प्रयोग कर रही थी | रामलीला मैदान के बाहर सारे रस्ते बंद कर दिए गए थे केवल उस रस्ते को छोड़ कर जो की नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन की तरफ जाता था | मैं वहां पर उपस्थित कुछ लोगों से बात की और जानने का प्रयास किया की अब वो क्या करना चाहते हैं | एक बात अत्यंत साफ़ थी की कोई भी इतना सब कुछ होने४ के बाद भी जाना नहीं चाहता था दिल्ली से बाहर हर किसी को बाबा की चिंता थी और सबका यही कहना था बाबा चले गए तो क्या हुआ सत्याग्रह जारी है |
हम थके थे , भूखे थे चोटिल थे कुछ तो घायल भी थे और नेतृत्वविहीन भी थे पान्तु इस सबके बावजूद भी कोई निरशा नहीं थी कोई हताशा नहीं थी हम पराजित नहीं थे और वहां पर उपस्थित प्रत्येक सत्याग्रही सत्याग्रह को आगे बढाने के लिए तैयार था और ऐसा इसलिए था क्यों की हम लोग एक ईश्वरीय कर के लिए आये थे और हमारे साथ इश्वर था | हम लोगों ने वहां पर उपस्थित सभी लोगों को बताना शुरू किया की अभी सत्याग्रह समाप्त नहीं हुआ है और हम लोग अब जंतर मंतर में जाकर धरना देंगे और यह सुन कर हर चहरे पर संतोष का भाव उभरता था सभी लोग रामलीला मैदान से लेकर नयी दिल्ली स्टेशन तक सड़क के दोनों तरफ और स्टेशन के बाहर बैठे हुए थे तभी मुझे कुछ लोगों ने बताया की जंतर मंतर तक जाने के रस्ते भी बंद किये हुए हैं पुलिस ने | मैं ये बात देखने के लिए जंतर मंतर की तरफ गया तो पुलिस ने राजीव चौक के के पास जाने के भी रास्त्र बंद कर रखे थे और कोई व्यक्ति अकेले भी जाना चाहता था तो उसको भी नहीं जाने दिया जा रहा था | यह देख कर मैं पुनः वापस स्टेशन पर आ गया |
अब मैं यहाँ पर आ कर मैं पुनः प्रतीक्षा करने लगा सुबह होने की तभी दिल्ली विश्वविद्यालय की कुछ छात्राओं का एक समूह दिखा जो की वहां पर उपस्थित लोगों को यह बता रहा था की हम लोगों को सुबह 6 बजे जंतर मंतर जाना है (बाबा के विरोधी कह रहे हैं की बाबा को दिल्ली वासियों का और युवाओं का समर्थन नहीं मिला था| ) , मैं उनसे यह पूछा की क्या उनके पास कोई अधिकारिक सूचना है ??इस प्रश्न का सकारात्मक उत्तर देने के बाद मैंने उनको रास्ते बंद होने की बात बताई तो मुझसे कहा गया की सुबह तक खुल जायेंगे | इसके बाद वहां पर उपस्थित लोगों ने अधिक से अधिक लोगों को रोकने और इस बारे में सूचना देने का प्रयास प्रारंभ कर दिया इस समय तक 4 बज चुके थे और वहां पर भारत स्वाभिमान से जुड़े हुए कुछ लोग भी आ चुके थे |
सुबह ५: ४० पर हम लोगों ने कुछ सन्यासियों के नेतृत्व में जंतर मंतर की तरफ बढ़ाना प्रारंभ किया था | थोड़ी दूर चलने के बाद ही हम लोग उसी स्थान पर पहुँच गए जहाँ से रात को वापस आ चुका था , इस बार हम लोग बड़ी संख्या में थे और हम लोग पुलिस की चिंता किये बिना आगे बढ़ गए | उस समय हम लगभग ६ या ७ हजार लोग थे और हम लोग एक लम्बे जलूस के रूप में जा रहे थे | इस समय पुलिस ने हम पर बलप्रयोग तो नहीं किया परन्तु हमें अलग अलग छोटे छोटे समूहों में विभाजित करने का प्रयास किया था परन्तु ऐसा हो नहीं सका | इसके बाद हम लोग जंतर मंतर की तरफ जा रहे थे तभी हमें कुछ लोगों से सूचना मिली की "आचार्य बालकृष्ण ने कहा है की बाबा ठीक हैं |" मैंने भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से जुड़े लोगों से पूछा तो हमें बताया गया की "आचार्य बालकृष्ण स्वयं ही गायब हैं " और सभी की यही प्रतिक्रिया थी की हमें मीडिया की बैटन पर विशवास नहीं करना है | हम लोग जंतर मंतर की तरफ जा रहे थे और पुलिस की २ गाड़ियाँ हमारे साथ साथ लगातार चल रही थीं | जब हम लोग जंतर मंतर के निकट पहुंचे तो पुलिस ने वहां भी बैरीकेटिग लगा कर रास्ता बंद कर रखा था | हम लोग बिना किसी प्रतिरोध किये जंतर मंतर के निकट के गुरूद्वारे में चले गए थे |
परन्तु इस सब के बाद भी कोई भी सत्याग्रही हार कर या थक कर वापस जाने के मूड में नहीं था , हर किसी को बाबा रामदेव की और सत्याग्रह की चिंता थी और हर कोई इस आन्दोलन को जारी रखने के के लिए तैयार था | इस सब में बहुत से लोग ऐसे भी थे जो अपना अनशन जरी रखे हुए थे |
पुलिस और सरकार ने जो किया उससे हमें कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्यों की असुर दल को तो यही करना था और और उन्होंने अपनी असुर संस्कृति का परिचय दिया था | हमें पहले से पता था की यह कंटक पथ है और हमने कंटक पथ अपनाया है माँ भारती और उसकी संतानों की सेवा के लिए और इसलिए हमारे अन्दर निराशा नहीं है बस इश्वर से यही प्रार्थना है की इस संघर्ष के लिए हमें शक्ति दें और हमें सफल करें |
देहु शिवा वर मोहे, शुभकरमन तें कबहुँ न टरूँ।
न डरूँ अरसौं जब जाए लडूँ, निश्चय कर अपनी जीत करूँ
abb to tabhee rukna hai jab summer(yudh) ko jeet lena hai
जवाब देंहटाएंदेहु शिवा वर मोहे, शुभकरमन तें कबहुँ न टरूँ।
जवाब देंहटाएंन डरूँ अरसौं जब जाए लडूँ, निश्चय कर अपनी जीत करूँ
आपने अच्छा प्रत्यक्ष दर्शन कराया अंकित जी।
व्यवस्था में परिवर्तन जरूरी है ! आगे बढ़ें !
जवाब देंहटाएंvyastha me parivartan ramdev jaise pakhandee bhrasjht sanghion ke sath nahee la sakte uske lie janta jag rahi hai
जवाब देंहटाएंऔर जनता का नेतृत्व बाबा रामदेव कर रहे हैं ..............आप अपने नाम से कमेन्ट करिए
जवाब देंहटाएंaum
जवाब देंहटाएंab sangharsh aur teji ke saath aage badhega jab jab baba ka virodh hua hai baba aur sakti ke saath aage badhe hain
jai bharat