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शनिवार, 25 दिसंबर 2010

नेहरु की पीढ़ी -----

नेहरु की पीढ़ी -----

नेहरू से पहले और नेहरू के पहले....



नेहरू से पहले ....नेहरू की पीढ़ी इस प्रकार है ....

गंगाधर नेहरु GANGADHAR NEHARU

विद्याधर नेहरु VIDYADHAR NEHARU

मोतीलाल नेहरु MOTILAL NEHARU

जवाहर लाल नेहरु JAWAHAR LAL NEHARU



गंगाधर नेहरु (NEHARU) उर्फ़ GAYAS - UD - DIN SHAH जिसे GAZI की उपाधि दी गई थी ....जिसका मतलब होता है (KAFIR - KILLER)



इस गयासुद्दीन गाजी ने ही मुसलमानों को खबर (मुखबिरी ) दी थी की गुरु गोबिंद सिंह जी नांदेड में आये हुए हैं , इसकी मुखबिरी और पक्की खबर के कारण ही सिखों के दशम गुरु गोबिंद सिंह जी के ऊपर हमला बोला गया, जिसमे उन्हें चोट पहुंची और कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई थी.



"Wazir Khan, the Nawab of Sirhind, felt uneasy about any conciliation between Guru Gobind Singh and Bahadur Shah '1'.

He commissioned two Pathans, Jamshed Khan and Wasil Beg, to assassinate the Guru.



The two secretly pursued the Guru and got an opportunity to attack him at Nanded.

According to Sri Gur Sobha by the contemporary writer Senapati, Jamshed Khan stabbed the Guru in the left side below the heart while he was resting in his chamber after the Rehras prayer.

Guru Gobind Singh killed the attacker with his sabre, while the attacker's fleeing companion was killed by the Sikhs who had rushed in on hearing the noise.

The European surgeon sent by Bahadur Shah stitched the Guru's wound. However, the wound re-opened and caused profuse bleeding, as the Guru tugged at a hard strong bow after a few days.

Seeing his end was near, the Dasham Guru declared the Granth Sahib as the next Guru of the Sikhs, as GURU GRANTH SAHIB.

He then sang his self-composed hymn:

"Agya bhai Akal ki tabhi chalayo Panth Sabh Sikhan ko hukam hai Guru Maneyo Granth, Guru Granth Ji manyo pargat Guran ki deh Jo Prabhu ko milbo chahe khoj shabad mein le Raj karega Khalsa aqi rahei na koe Khwar hoe sabh milange bache sharan jo hoe."



Translation of the above: "Under orders of the Immortal Being, the Panth was created. All the Sikhs are enjoined to accept the Granth as their Guru. Consider the Guru Granth as embodiment of the Gurus. Those who want to meet God, can find Him in its hymns. The pure shall rule, and impure will be no more, Those separated will unite and all the devotees shall be saved."



The Guru reportedly passed away, along with his horse Dilbagh (aka Neela Ghora) on 7 October 1708 at Nanded, before which he had declared the Guru Granth Sahib as his successor."



और आज नांदेड में सिक्खों का बहुत बड़ा तीर्थ-स्थान बना हुआ है. जब गयासुद्दीन को हिन्दू और सिक्ख मिलकर चारों और ढूँढने लगे तो उसने अपना बादल लिया और गंगाधर राव बन गया, और उसे मुसलमानों ने पुरस्कार के रूप में अलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में इशरत मंजिल नामक महल/हवेली  दिया, जिसका नाम आज आनंद भवन है ....आनंद भवन को आज अलाहाबाद में  kangress का मुख्यालय बनाया हुआ है

इशरत मंजिल के बगल से एक नहर गुजरा करती थी, जिसके कारण लोग गंगाधर को नहर के पास वाला, नहर किनारे वाला, नहर वाला, neharua , आदि बोलते थे जो बाद में गंगाधर नेहरु अपना लिखने लगा इस प्रकार से एक नया उपनाम अस्तित्व में आया नेहरु और आज समय ऐसा है की एक दिन अरुण नेहरु को छोड़कर कोई नेहरु नहीं बचा ...

अपने आप को कश्मीरी पंडित कह कर रह रहा था गंगाधर क्यूंकि अफगानी था और लोग आसानी से विश्वास कर लेते थे क्यूंकि कश्मीरी पंडित भी ऐसे ही लगते थे.

अपने आप को पंडित साबित करने के लिए सबने नाम के आगे पंडित लगाना शुरू कर दिया

पंडित गंगाधर नेहरु

पंडित विद्याधर नेहरु

पंडित मोतीलाल नेहरु

पंडित जवाहर लाल नेहरु लिखा ..



और यही नाम व्यवहार में लाते गए ...



पंडित जवाहर लाल नेहरु अगर कश्मीर का था तो आज कहाँ गया कश्मीर में वो घर आज तो वो कश्मीर में कांग्रेस का मुख्यालय होना चाहिए जिस प्रकार आनंद भवन कांग्रेस का मुख्यालय बना हुआ है इलाहाबाद में....

ये कहानी इतनी पुरानी भी नहीं है की इसके तथ्य कश्मीर में मिल न सकें ....

आज हर पुरानी चीज़ मिल रही है ....

चित्रकूट में भगवन श्री राम के पैरों के निशान मिले,

लंका में रावन की लंका मिली, उसके हवाई अड्डे, अशोक वाटिका, संजीवनी बूटी वाले पहाड़ आदि बहुत कुछ....

समुद्र में भगवान श्री कृष्ण भगवान् द्वारा बसाई गई द्वारिका नगरी मिली ,

करोड़ों वर्ष पूर्व की DINOSAUR के अवशेष मिले तो 150 वर्ष पुराना कश्मीर में नकली नेहरू का अस्तित्व ढूंढना क्या कठिन है ?????



दुश्मन बहुत होशिआर है हमें आजादी के धोखे में रखा हुआ है,

इस से उभरने के लिए इनको इन सब से भी बड़ी चुस्की पिलानी पड़ेगी जो की मेरे विचार से धर्मान्धता ही हो सकती है जैसे गणेश को दूध पिलाया था अन्यथा किसी डिक्टेटर को आना पड़ेगा या सिविल वार अनिवार्य हो जायेगा



जय हिंद जय हो

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